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कुछ तो लोग कहेंगे.......लोगों का काम है कहना

इंसान की जिज्ञासा कभी शांत नहीं होती , वह जीवन पर्यन्त चलती रहती है पर अगर बात हो खुद को जानने की तो हम हमेशा यही कोशिश करते है की लोगों के मन में हमारे लिए क्या चल रहा है और उसमे कही न कही खुद को जानने की तमन्ना सबसे ज्यादा होती है लोग कही तरह से कोशिश करते है अपने बारे में लोगों से जानने की, और यही चाहते  की मेरे बारे में बस अच्छी बातें पता चले और मेने क्या गलत  किया या कर रहें है ये सुनने के की लालसा नहीं होती है यही सबसे बड़ी गलती है अगर जानना ही है तो अच्छा और बुरा सब तरह का सुनना पड़ेगा और सच में आप जान ले की लोगों आपके बारे में क्या सोचते है तो आप कभी खुश नहीं  रह पायेंगे आप खुद को हमेशा सही साबित करने में अड़े रहेंगे या आप बनावटी हो जायेंगे क्योंकि आप लोगों की सोच को तो नहीं बदल सकते है लोग उतना ही सोचेंगे जितना आपके बारे में सोच रखा है "कोई अपनी ही नज़र से तो देखेगा हमें , एक कतरे को समुन्द्र नज़र आये केसे " अगर आपके पीछे लोगों से अच्छा ही अच्छा सुनने को मिले तो भी अहंकार आ जाता है आखिर क्यों देखे हम खुद को ओरों की नज़र से ?? "हर चीज़ उठाई जा सकती है , सिवा

शरीफ इन्सान शराफ़त की वजह ......

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लफ्जो के इस्तेमाल में यु बदलाब करके देख .....

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पूरा बचपन Handwriting सुधारने में गुजर गया और ज़िन्दगी Keyboard पर बीत रही है !!

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